मैं किसी कहानी
किसी कथा
किसी सीरियल का
पात्र नहीं हूँ .....
जिसे तुम जब चाहो
उठाओ - गिराओ
मरवाओ
हँसाओ
रुलाओ
और तुम लिख सको -
अपनी मनमर्जी से मुझे ....
..........
हकीकत हूँ मैं
जिन्दा हकीकत
मेरी अपनी सोचें हैं
थोड़ी बहुत
इलास्टिसिटी चलेगी
ज्यादा खींचतान
करोगे - शायद
टूट भी जाऊं मैं ...
....... स्पर्शी, ग्वालियर ...
किसी कथा
किसी सीरियल का
पात्र नहीं हूँ .....
जिसे तुम जब चाहो
उठाओ - गिराओ
मरवाओ
हँसाओ
रुलाओ
और तुम लिख सको -
अपनी मनमर्जी से मुझे ....
..........
हकीकत हूँ मैं
जिन्दा हकीकत
मेरी अपनी सोचें हैं
थोड़ी बहुत
इलास्टिसिटी चलेगी
ज्यादा खींचतान
करोगे - शायद
टूट भी जाऊं मैं ...
....... स्पर्शी, ग्वालियर ...