शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

******** पात्र नहीं हूँ मैं ***********

मैं किसी कहानी
किसी कथा
किसी सीरियल का
पात्र नहीं हूँ .....
जिसे तुम जब चाहो
उठाओ - गिराओ
मरवाओ
हँसाओ
रुलाओ
और तुम लिख सको -
अपनी मनमर्जी से मुझे ....
..........
हकीकत हूँ मैं
जिन्दा हकीकत
मेरी अपनी सोचें हैं
थोड़ी बहुत
इलास्टिसिटी चलेगी
ज्यादा खींचतान
करोगे - शायद
टूट भी जाऊं मैं ...
....... स्पर्शी, ग्वालियर ...

--------- "होना ही है शहीद" ----------



लगता है
मैं भी स्याला
बकरा ही हूँ !
जब जिसे हलाल
करना होता है
खूब जिमाता है
खिलाता पिलाता है
मीठी मीठी बातों की
चाशनी ही सही
खुशामद का
चिकना चिकना
मक्खन ही सही !
अंत वही -
जो हर बकरे की
किस्मत है !
हलाल होना !!
होती ही रहती है
जब तब - "बकरीद"
चाहे मिंमियाएं
चाहे मुस्कुराएं
होना ही है शहीद !!
****** राहुल गुप्ता स्पर्शी, ग्वालियर .. 

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

..........दानव तेरे भीतर ".........




मंगलवार, 19 जून 2012

...........चेहरा तेरा


धरा के आँगन पे आसमां झुकाने आया हूँ  !
नदी की प्यास को सागर पिलाने आया हूँ !!
नज़र में बाँध लूं ..चेहरा तेरा.. खरा कुंदन !
ग़ज़ल की शान को..सोना बनाने आया हूँ !!
...........राहुल गुप्ता स्पर्शी, ग्वालियर 09826347016 

.........."मेरे आंसू" ...........


मित्रों ...पितृ दिवस ..पर पिता को खोना ....
..मेरी आह .माँ का रुदन ....मेरे पूज्य पिता की याद ...

माना अश्क रोक भी पाना
बस में नहीं आज तुम्हारे !
मेरी आँखों.... में भी छाये,
आये रह रह अश्क तुम्हारे !!
      ०००००००००
मेरे पिता मुझे और तुमको
आज विदा कर दूर गए हैं !
जीवन की इच्छाएं सारी..
सारे सपने ....चूर हुए हैं !!
        ०००००००
कभी इसी दिन को अक्सर
मैं कहता रहता था त्यौहार !
आज रुदन ने तेरे मेरे ...
मचा दिया माँ हाहाकार !!
       ०००००००००
मेरे इस कमजोर ह्रदय पर
भारी बहुत हैं तेरे आंसू ...!
तुझे दिलासा कैसे दे दूं
कैसे रोकूँ तेरे ये आंसू !!
       ००००००००
तुमने अपना सारा जीवन
जिसको सदा किया अर्पण !
कैसे निष्ठुर होकर वह ...
तोड़ गया सारे सुख बंधन !!
      ०००००००
रो रो आँखें सूख चली हैं
सूझे कोई राह नहीं .....!
माँ तू देख मुझे जी लेना
क्या तुझको मेरी चाह नहीं !!
       ००००००००
तूने ही मुझको सोंपे हैं
सच्चे जीवन के संस्कार !
मत रो मेरी प्यारी माँ तू
बेटा तुझसे कहे पुकार !!
       ००००००००
कैसा होगा जीवन अब यह
सोच कहीं चिंतित मत होना !
तूने प्राणों से सींचा था ..
में सुख तुझको दूंगा दूना !!
      ०००००००००
............राहुल गुप्ता स्पर्शी, ग्वालियर 09826347016

............."दूर होकर भी हो पास"




कल तुम बहुत दूर थी
यूं ..दूर हो आज भी ....!
पर ..दूर होकर भी ...
मेरे बिलकुल करीब हो ..
हो ...एकदम पास . ..!!
       ०००००००
कैसी होती हैं
ये पास वाली दूरियां ..
जहां जिस्मानी तौर पर
दूर होकर ..भी ...
रूहें हर पल ...
साथ साथ रहती हैं ...!!!
        ००००००००
और ...
क्या कमी है इस दूरी में
उस  "पास "  से
जहां कि नहीं हो ..
संवाद भी ...
नहीं हो चाह भी ....!!
और नहीं हो .........
पास होने का अहसास भी ....!!!!!
          ०००००००
राहुल गुप्ता स्पर्शी, ग्वालियर  09826347016

शनिवार, 16 जून 2012

ग़ज़ल ......जिन्दगी ...


जिन्दगी की हर ख़ुशी छोड़े हुए !
जी रहे हैं हम, कफ़न ओढ़े हुए !!
            ०००००००००००
जान से अपनी जुड़े गम ही रहे !
कभी हुए ज्यादा, कभी थोड़े हुए !!
...........जी रहे हैं हम कफ़न ओढ़े हुए !!
             ०००००००००
रिश्ता बनता ही गया वीराने से !
बरसों हो गए ..चमन छोड़े हुए !!
...........जी रहे हैं हम कफ़न ओढ़े हुए !!
            ०००००००००
जिसके क़दमों पे झुकी नज़रें रहीं !
चलते रहे हैं वो, कदम मोड़े हुए !!
...........जी रहे हैं हम कफ़न ओढ़े हुए !!
             ०००००००००
दिल को तेरे प्यार में तोड़े हुए !
यादों से इस जान को जोड़े हुए !!
...........जी रहे हैं हम कफ़न ओढ़े हुए !!
    ..........राहुल गुप्ता स्पर्शी, ग्वालियर 9826347016